जगह जगह जयचंद….
जगह जगह जयचंद मिले ।
मिले न राष्ट्रवीर भगतसिंग ॥
गद्दारों की काली करतुतों से ।
माता भारती दुखी और दीन ॥
जगह जगह जयचंद पले ।
सत्य को यहाॅं असत्य छले ॥
सच्चे देशभक्तों का रे दिल जले ।
सरफरोशी की राहों पर वो चले ॥
जगह जगह जयचंदो का डेरा ।
जागो लोगों घनघोर अंधरा ॥
नियती का कैसा उलटा फेरानि
यती का कैसा उलटा फेरा ॥
सियासत का घिनौना दिखे चेहरा ॥
राष्ट्रीय कवी.संजय मुकूंद राव निकम मालेगाव.जि.नासिक महाराष्ट्र

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